बलिदान दिवस पर याद किए गए चंद्रशेखर आजाद

कानपुर। महानगर काँग्रेस कमेटी द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिवीर अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के 89 वें बलिदान दिवस पर काँग्रेस मुख्यालय तिलक हाल में उनके चित्र पर माल्यार्पण के बाद पुष्पांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें आजाद को देश पर सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले त्याग तपस्या की महान प्रतिमूर्ति बताया गया। पुष्पांजलि सभा में अध्यक्ष हर प्रकाश अग्निहोत्री ने कहा कि देशभक्त परिवार में जन्मे आजाद अल्पायु मे ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए थे। 14 वर्ष की आयु में जब उन्हें गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया तो पूछने पर उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और निवास जेल खाना बताया तो मजिस्ट्रेट क्रोधित हो उठे और उन्हें 15 कोड़ों की सख्त सजा सुनाई. जिस पर आजाद भरी अदालत में भारत माता की जय के नारे लगाने लगे और जब तक उन्हें कोड़े मारे जाते रहे वह लगातार भारत माता की महानगर शहर जय के नारे लगाते रहे। कनिष्क पांडे ने कहा कि गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन रद्द करने की घोषणा से क्षब्ध होकर आजाद ने भगतसिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, सुखदेव व राजगुरु आदि क्रांतिकारीयों के साथ उग्र आंदोलन किया और काकोरी कांड व सांडर्श हत्या कांड आदि गतिविधियों को अंजाम दिया। अभिनव तिवारी ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत को नाको चने चबवा देने वाले आजाद ने 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फेड पार्क में अंग्रेजों से लड़ते हुए खुद को गोली मारकर अपने प्राणों का जो बलिदान दिया है भारत वासी उसे कभी भूल नहीं सकते। संयोजन सुबोध बाजपेई ने और संचालन चन्द्र मणि बाजपेई ने किया। प्रमुख रूप से शंकर दत्त मिश्र, इकबाल अहमद, कनिष्क पांडे, अभिनव तिवारी, पुनीत राज शर्मा, निजामुद्दीन खां. ग्रीन बाबु सोनकर, कमल जायसवाल, अशोक धानवीक, के के तिवारी, आदि शामिल थे।